यूक्रेन से लौटे छात्रों की आपबीती, भय और भूख से हालात बदतर

रूस और यूक्रन के बीच छिड़े युद्ध के कारण वहां रह रहे भारतीय छात्रों को काफी समय डर के माहौल में समय बिताना पड़ा। अनहोनी की आंशका से स्वजनों की नींद हराम हो गई थी।

भय और भूख के बीच रात गुजारनी पड़ी। यहां वापस आकर राहत मिली है। यह दास्तां उन छात्रों की है जो यूक्रेन में भय के माहौल में समय बिताने के बाद गुस्र्वार को वापस लौटे। गुस्र्वार को अमाल्या राघोगढ़ निवासी कुलदीप धाकड़ एवं पहारूआ आरोन गुना निवासी अनिल धाकड़ इंडिगो की उड़ान से भोपाल पहुंचे। विधायक जयवर्द्धनसिंह उन्हें लेने एयरपोर्ट पहुंचे। बाग मुगालिया निवासी अवनि मुदगल एवं प्राची मिश्रा भी इंडिगो की रात की उड़ान से भोपाल पहुंचीं। एयरपोर्ट पर नवदुनिया ने छात्रों से यूक्रेन के हालात के बारे में बातचीत की।

भूख से बुरा हाल, ब्रेड के दाम हजारों में

बड़ा अमाल्या निवासी कुलदीप धाकड़ एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। कुलदीप के अनुसार पिछला एक सप्ताह उनके लिए भय और डर से भरा रहा। हमारा अपार्टमेंट ही बंकर जैसा है। हम बेसमेंट में थे फिर भी डर लग रहा था। बिजली बंद कर दी गई। गैस लाइन बिजली से ही संचालित है। काफी समय भूखा रहना पड़ा। बाहर निकले तो 50 वाली ब्रेड 4500 स्र्पये में खरीदनी पड़ी। कुलदीप कहते हैं कि हालत बदतर है। घर के पास ही आर्मी का बेस कैंप है, बाहर निकलते ही हमें डर लग रहा था क्योंकि बेस कैंप पर हमले की खबर थी।

बार्डर पर ही फंस गए, धमाकों से नींद उड़ी

पहारूआ आरोन गुना निवासी अनिल धाकड़ एमबीबीएस के फाइनल सेमिस्टर की पढ़ाई कर रहे हैं। अनिल बताते हैं कि हमले की आंशका से डर गए थे। धमाकों से नींद उड़ गई। हमने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह एवं जयवर्द्धनसिंह से बात की। सिंह ने ट्वीट किया था इसके बाद हमें बार्डर तक जाने की अनुमति मिली। दो रात जागकर बिताई। खाने की किल्लत थी। परिवार से संपर्क करते ही स्वजन चिंतित हो उठत थे इसलिए हमनें उनसे कहा सब ठीक है। ईश्वर का शुक्र है कि हम सुरक्षित वापस लौट आए हैं।

अवनि और प्राची की मुस्कान लौटी

यूके्रन खार्किव मेडीकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस कर रही बाग मुगालिया निवासी अवनि मुदगल एवं प्राची मिश्रा साथ भी यूक्रेन के हालात से चिंतित थी। राजा भोज एयरपोर्ट पर कदम रखते ही दोनों की मुस्कान लौट आई। एयरपोर्ट पर नवदुनिया से चर्चा के दौरान अवनि और प्राची ने कहा कि यहां आकर लग रहा है हमारा खराब समय बीत गया। युुद्ध की घोषण होते ही दोनों छात्राओं का परिवार से संपर्क टूट गया थ। शहर से बार्डर तक का सफर आठ दिन में पूरा हो सका। एयरपोर्ट पर पिता अखिलेश मुदगल एवं रिश्तेदार दीपक शर्मा ने छात्राओं का स्वागत किया।

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