भोपाल सेंट्रल जेल से छूट के कैदी करेंगे पंडिताई

भोपाल सेंट्रल जेल में बंद लगभग 50 बंदी इन दिनों धार्मिक कर्म-कांड के तौर तरीके सीख रहे हैं। इसके लिए गायत्री शक्ति पीठ के पुरोहित उन्हें संस्कृत भाषा का ककहरा सिखाने के साथ ही मंत्रों का विधिवत उच्चारण करना सिखा रहे हैं।

जेल से रिहा होने के बाद वे परिवार एवं समाज में बेहतर बदलाव लाना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त वह अनुष्ठान करवाकर रोजगार भी चला सकेंगे।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में सेंट्रल जेल में पुरोहित बनाने का एक माह का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। गायत्री शक्तिपीठ के घर-घर यज्ञ प्रकोष्ठ से राजधानी के संयोजक रमेश नागर ने बताया कि शुरुआत में बंदियों को गृह, नक्षत्र, तिथि, पक्ष के अलावा तीज-त्यौहारों पर होने वाले अनुष्ठानों के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही संबंधित देवता के पूजन में श्लोकों के बारे में विस्तार से समझाया जा रहा है। अधिकांश बंदियों को संस्कृत भाषा का ज्ञान दिया जा रहा है, ताकि वे श्लोकों का भावार्थ भी समझ सकें। प्रशिक्षण अवधि में बंदियों को यज्ञोपवीत, नामकरण, मुंडन सहित सभी 16 संस्कारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसके लिए उन्हें साहित्य भी उपलब्ध कराया जा रहा है। नागर के मुताबिक गायत्री शक्ति पीठ से जुड़े पुरोहित श्रवण गीते, पंचानन शर्मा, सुरेश कवड़कर, सदानंद अंबेकर रामाराव, कुसुमलाल, एमपी कुशवाह, रघुनाथ प्रसाद हजारी, राहु श्रीवास्तव, दयानंद समेले, राजेश राय आदि बंदियों को धार्मिक कर्मकांड सिखा रहे हैं।

सभी जातियों के बंदी सीख रहे पंडिताई

सेंट्रल जेल के जेलर पीडी श्रीवास्तव ने बताया कि पुरोहित प्रशिक्षण में सभी जाति के बंदी शामिल हैं। वर्तमान में लगभग 50 बंदी पंडित बनने के गुर सीख रहे हैं। शुरुआत में उन्हें संस्कृत भाषा सीखने में कुछ परेशानी आ रही है। इस शिविर में वे बंदी शामिल हैं, जिनकी सजा एक से तीन वर्ष में पूरी होने वाली है। उनका उद्देश्य जेल से रिहा होने के बाद परिवार और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles