प्रदेश की सबसे बड़ी देवी अहिल्याबाई होलकर फल एवं सब्जी मंडी (चोइथराम मंडी) में कुछ आढ़तिये मंडी से ही सब्जी खरीदकर मंडी में ही किसान बनकर बेचने लगते हैं।
किसानों के नाम पर इस तरह का धंधा करने वाले आढ़तियों को लेकर मंडी प्रशासन सख्त रवैया अपनाने वाला है। ऐसे लोगों की पूरी पहचान निकाली जाएगी। यदि कोई व्यापारी खुद को किसान बताकर बचने की कोशिश करेगा तो उससे तहसीलदार की ओर से प्रमाणित की हुई जानकारी मांगी जाएगी कि उसके पास कितनी खेती है और उसने कौन-सी फसल बोई है।
मंडी में खेरची सब्जी बेचने वाले व्यापारियों की भी पहचान की जाएगी। इन सबसे उनका नाम, पता, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर आदि जानकारी जुटाई जाएगी। इस संबंध में मंडी प्रशासन ने मंडी के विभिन्ना व्यापारी संगठनों की बैठक लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। इस बारे में मंडी सचिव नरेश कुमार परमार ने व्यापारियों और हम्मालों को पत्र भी जारी किया है। मंडी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि खेरची सब्जी बेचने वालों के लिए अलग सेक्टर में ओटलों की व्यवस्था की गई है। इन ओटलों का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। यदि खेरची कारोबारी निर्धारित ओटलों की जगह सड़क पर सब्जी बेचते पाए गए तो उनके ओटले निरस्त कर दिए जाएंगे। इसके लिए खेरची दुकानदारों का सर्वे करके सूची बनाई जा रही है।
मनमानी पर लगेगा जुर्माना – मंडी प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि व्यापारी अपना माल निर्धारित शेड में ही उतारेंगे। यदि उपज या माल शेड में नहीं उतारा गया तो ऐसे व्यापारियों और हम्मालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मंडी प्रशासन ने निर्देश दिए हैं कि शेड भरने के बाद माल नीचे रखा जा सकता है, लेकिन इसे बिना गैप रखे शेड से सटाकर ऐसा रखना होगा ताकि वाहनों का जाम न लगे। इस व्यवस्था को बनाने के लिए व्यापारियों को 10 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद जानबूझकर शेड से नीचे सड़क पर माल रखने वालों पर 10 रुपये प्रति बोरा प्रतिदिन जुर्माना लगाया जाएगा। दरअसल, मंडी में स्थायी दुकानदारों के सामने कई खेरची व्यापारी सड़क पर ही कब्जा जमाकर सब्जी बेचने लगते हैं। इससे थोक मंडी का कामकाज प्रभावित होता है और वाहनों को निकलने तक की जगह नहीं होती। यातायात व्यवस्था बिगड़ती है और अंदर से लेकर गेट तक वाहनों का जाम लग जाता है।