गंगानगर में गल बाबा का मेला आस्था और परंपरा के तहत मेला होलिका दहन के दूसरे दिन धुलंडी पर लगता है। इस दिन अंचलों में इस तरह के मेलों में पहुंचते हैं। जहां पर मन्नत धारी गल बाबा की पूजा कर गल घूमते हैं। मन्नत के अनुसार 1 साल 5 साल गल घूमा जाता है। मन्नत धारी अपने पूरे परिवार के साथ गल बाबा के मेले में पहुंचते हैं और मन्नत उतारते हैं। इस परंपरा को लोग सदियों से नई निभाते आ रहे है। मन्नत के दौरान मनन्तधारी विशेष ड्रेस कोड में पहुंचते है।
मान्यता है कि बच्चा बीमार होने पर ठीक हो जाता है। बच्चा नहीं होने पर हो जाता है। घर में अन्य समस्याएं हैं तो मन्नत लेने पर मन्नत पूरी होती है तो गल घूमना होता है। इस मेले का आयोजन ग्राम पंचायत के द्वारा किया जाता है। इस मेले में एक ऊंचा टावर जिसकी ऊंचाई तकरीबन 50 फीट ऊंची होती है। टॉवर पर एक व्यक्ति बैठा होता है और एक आडा बांस बंधा होता है जिस पर मन्नत धारी व्यक्ति को कपड़े से बांध दिया जाता है और फिर नीचे से एक व्यक्ति रस्सी से उस बांस को गोल गोल घुमाता है इस तरह वह व्यक्ति ऊंचाई पर घूमता है। मन्नत धारी एक से लगाकर पूरे जीवन या 5 साल तक गल पर घूमता है इसमें लोगों की मान्यता है कि गल बाबा की कृपा से वह जो मन्नत लेते हैं वह पूरी हो जाती है। अक्सर मन्नत बच्चे होने की बीमारी से ठीक होने की ली जाती है।