आजादी के अमृत महोत्सव की शृंखला में नेतृत्व विकास कार्यशाला सहकारिता से खुशहाल जीवन एवं समृद्धि : ओपी गुप्ता

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उज्जैन। सहकारिता मंत्रालय भारत सरकार के भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की सहकारी शिक्षा क्षेत्रीय परियोजना उज्जैन द्वारा आयोजित नेतृत्व विकास कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ओपी गुप्ता, विशेष अतिथि सुरेंद्रसिंह ठाकुर एवं नरेंद्र शर्मा, कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य शैलेंद्र पाराशर, पूर्व अध्यक्ष अंबेडकर पीठ विश्वविद्यालय उज्जैन रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर सूत की माला एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। तत्पश्चात परियोजना द्वारा अतिथियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया गया। परियोजना अधिकारी चंद्रशेखर बैरागी ने स्वागत उद्बोधन में अतिथि एवं प्रतिभागी का परिचय कराते हुए कहा कि आज की कार्यशाला सहकारिता से समृद्धि के लिए नेतृत्व विकास एवं खुशहाल जीवन विषय पर आयोजित की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य सहकारिता के माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान करना है। संचालन करते हुए प्रेम सिंह झाला ने परियोजना द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी दी।
मुख्य अतिथि ओपी गुप्ता उपायुक्त सहकारिता ने कहा कि सहकारिता ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम सब सहकारिता के सिद्धांत, नियम एवं मूल्यों को स्थापित करते हुए कार्य करें तो खुशहाली और समृद्धि आने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए ईमानदारी से सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है जो कि वर्तमान में बहुत ही महत्वपूर्ण है। विशेष अतिथि सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि आज का जीवन बड़ा चुनौतीपूर्ण है एवं इसे तनावमुक्त होकर जीने से ही खुशहाली प्राप्त हो सकती है। वर्तमान समय सहकारिता के माध्यम से उचित दिशा में किया गया प्रयास समृद्धि ला सकता है।
विशेष अतिथि नरेंद्र शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि आज भारतवर्ष संचार एवं तकनीकी ज्ञान में बहुत अधिक विकसित हो चुका है, जिसका उपयोग हम सामाजिक मानसिक, ज्ञानवर्धन एवं आर्थिक विकास के लिए कर सहकारिता के माध्यम से समृद्धशाली हो सकते हैं लेकिन इस दिशा में दृढ़ इच्छाशक्ति से काम करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आचार्य शैलेंद्र पाराशर ने कहा कि मानव ईश्वर की वह कृति है जो लक्ष्य बनाकर कार्य करें तो उस लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है विश्व में प्रसिद्ध एवं ख्यातिप्राप्त महत्वपूर्ण व्यक्तियो ने अपने मस्तिष्क का केवल 8 परसेंट ही उपयोग किया है। इस प्रकार मानव मात्र में असीम संभावना है लेकिन उन संभावनाओं को पहचानने की आवश्यकता है। मानव यदि हमेशा प्रसन्नचित एवं तनाव से मुक्त रहकर कार्य करेगा तो निश्चित ही सफलता को प्राप्त करेगा लेकिन वर्तमान में हम लोग भौतिक सुख सुविधा को ही सब कुछ मान लिया है उसे ही प्राप्त करने को निरंतर लगे रहते हैं। यदि हम दृढ़ इच्छाशक्ति एवं एक लक्ष्य बनाकर सहकारिता मे कार्य करें तो अमूल जैसी कई संस्था बना सकते हैं। आभार जगदीश नारायण सिंह सहकारी शिक्षा प्रेरक उज्जैन ने किया।

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