पित्र स्मृति प्रसंग काव्य निशा आयोजित।


उज्जैन। स्व. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद एवं साहित्यकार स्व. श्री रामसहाय नगाइच नागरिक को उनकी तृतीय पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित काव्य निशा, शहर के प्रसिद्ध कवियों की उपस्थिति में सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरिमोहन बुधौलिया की अध्यक्षता एवं आचार्य शैलेन्द्र पाराशर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुई।
काव्य पाठ का शुभारंभ प्रोफेसर रवि नगाइच गीतकार/गजलकार की सरस्वती वंदना से हुआ। पश्चात सुगनचंद जैन ने पिता शब्द को लेकर शानदार रचना प्रस्तुत की। राजेश रावल सुशील ने राम वंदना प्रस्तुत की। शुभम शर्मा ने शिव आराधना से माहौल बनाया। विजय सुखवानी ने माता-पिता पर ग़ज़ल पढ़ी। अनिल पांचाल सेवक ने जन्मभूमि को समर्पित रचना आचार्य वराहमिहिर को समर्पित की। सतीश सागर ने अपने मधुर गीतों से खूब तालियां बटोरी। नंदकिशोर पांचाल ने राम एवं होली पर शानदार मुक्तक पढ़ें। अप्रतुल शुक्ल ने ग़ज़लों से कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की। वहीं नागदा से आए कैलाश सोनी ने व्यंग्यात्मक तैवर दिखाए। इस काव्य निशा में सबसे अधिक तालियां युवा गीतकार कुमार संभव के गीतों पर बजी। विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन वरिष्ठ गीतकार नरेंद्र सिंह अकेला ने अपने हास्य व्यंग्य के मुक्तकों से दाद बटोरी। काव्य निशा का संचालन हास्याचार्य कवि सुरेन्द्र सर्किट ने किया। संयोजक रवि नगाइच ने सभी कवि गणों का शाल श्रीफल भेंटकर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर नगाइच परिवार के साथ प्रोफेसर पंजाबी प्रो. मनोज गुप्ता, प्रो. एससी सोलंकी, प्रो. अशोक शर्मा, प्रो. एस.के. जैन, बी.एस. राठौर आदि महाविद्यालय के कई प्राध्यापक उपस्थित थे। जानकारी नगाइच परिवार ने दी।

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