100 करोड़ के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का मामला 500 से ज्यादा फर्जी कंपनियों में 700 करोड़ रुपए का लेन-देन, दो गिरफ्तार

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सीजीएसटी के सौ करोड़ रु के इनपुट क्रेडिट टैक्स (ITC) के फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले गिरोह के दो आरोपियों को शनिवार को सूरत से गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।

दरअसल विभाग ने कुछ समय पहले मप्र सायबर सेल को इसे लेकर शिकायत की गई थी। उसी कड़ी में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों की निशानदेही पर 500 से ज्यादा फर्जी कंपनियों के दस्तावेज, डाटा, कई मोबाइल, सिम कार्ड, 300 कंपनियों की फर्जी सील, लेटर पेड आदि जब्त किए गए हैं। गिरोह इन दस्तावेजों का उपयोग जीएसटी क्रेडिट के लिए करता था। इन कंपनियों के जरिए 700 करोड़ से ज्यादा का लेन-देन दिखाया गया और इसके माध्यम से 100 करोड़ रुपए की इनपुट क्रेडिट टैक्स बताई गई जो पकड़ में आ गई। तफ्तीश में डिजिटल वॉलेट से भी कनेक्टिविटी पाई गई।

स्टेट सायबर सेल एसपी जितेंद्रसिंह ने बताया कि सीजीएसटी की ओर से आवेदन में बताया गया था कि कुछ लोगों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए जीएसटी पोर्टल पर प्रयोग कर फर्ज इनपुट टैक्स क्रेडिट के उपयोग करने के लिए जीएसटी फर्मो का रजिस्ट्रेशन कर शासन को राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। मामले में उक्त पते पर रहने वाले व्यक्ति द्वारा ऐसी किसी प्रकार का जीएसटी फर्म बनाने से इंकार किया। ऐसे ही जीएसटी फर्म रजिस्ट्रेशन में पते के लिए प्रयुक्त बिजली के बिल पर अंकित आईवीआरएस नंबर को खुद का बताया लेकिन बिल में अंकित नाम अज्ञात व्यक्तियों के होना बताया गया। जीएसटी फर्मो के प्रोपाइटरशिप से खुद का कोई संबध नहीं बताया गया। इस पर सेल ने मामला जांच में लिया।

फुट प्रिंट से मिले सूत्र

तफ्तीश के तहत फुट प्रिंट व टेक्निकल स्किल का प्रयोग कर संदिग्धों को चिन्हित किया गया। इसमें जीएसटी फर्म मे. कश्यप इंटरप्राइजेस (संचालक नीरज कुमार विद्याप्रसाद कश्यप), मे. राहुल इंटरप्राइजेस (राहुल बाबूभाई गोहिल), मे. शांति इम्पेक्स (शांति भूषण राम), मे. नंदन ट्रेडर्स (नरदेव नारायणसिंह क्षत्री) व मे. एएन इंटरप्राइजेस (सरोठिया अल्ताफ अल्लारखभाई) के रूप में अवैध रूप से रजिस्ट्रेशन करने वाले, उपयोग करने वाले व सहयोगियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

5 साल पहले जिसका निधन हो चुका है उसके दस्तावेजों से फर्म बना दी

मामले में कुछ अन्य लोगों जिनके दस्तावेजों का गलत उपयोग किया गया था, उनके द्वारा भी सेल को शिकायत की गई थी। उनके द्वारा द्वारा उपरोक्त फर्मों के लिए दस्तावेज देना नहीं बताया गया। एक व्यक्ति का 5 वर्प पहले निधन हो चुका है, उनके दस्तावेजो का भी प्रयोग कर जीएसटी फर्म बनाना पाया गया। आरोपियों द्वारा पुराने पते पर काम करना नहीं पाया गया तथा नए स्थानों पर काम किया जा रहा था। मामले में तीन आरोपियों सुलेमान करीम अली मेघानी (29), शमशुद्दीन अमीन बोधानी (33) तथा फिरोज खान पिता उबेद खान पठान (36) तीनों निवासी सूरत की लिप्तता पाई गई। इनमें से दो को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया गया है।

करोड़ों के संदिग्ध लेन-देन में इंदौर में भी कार्रवाई
उधर, जीएसटी विभाग द्वारा आयरन और स्टील सेक्टर के 8 उद्योगों पर करवाई करते हुए 50 करोड़ के संदिग्ध लेनदेन का खुलासा कर 7 करोड़ की कर चोरी पकड़ी है। मंडला, जबलपुर, सागर, इंदौर एवं राजगढ़ के आठ कारोबारियों के 14 ठिकानों पर विभाग के लगभग 70 अधिकारियों की टीम ने एक साथ कार्रवाई की। इसमें मंडला स्थित भूमिजा आयरन स्टील रोलिंग मिल, जबलपुर स्थित खंडेलवाल आयरन एंड स्टील, खंडेलवाल स्टील, जबलपुर स्टील एवं शाकंभरी फेरस, सागर का बालाजी उद्योग व राजगढ़ का पीडी इंटरप्राइजेज और मंगल इंटरप्राइजेज शामिल हैं।रोलिंग मिल द्वारा बिना बिल के आयरन स्क्रैप खरीद कर बिना बिल के ही सरिया बेचा जा रहा था। बोगस बिलिंग करके इनपुट टैक्स क्रेडिट ट्रांसफर की जा रही थी। कई ई-वे बिल दोपहिया वाहन के पंजीयन नंबर के आधार पर जारी किए गए। यानी, कई टन माल का परिवहन दो पहिया वाहन पर दिखाया जा रहा था। खास बात यह कि इसमें जबलपुर की खंडेलवाल आयरन एंड स्टील कंपनी ने इंदौर के छोटा बांगड़दा में भी अपना कामकाज शुरू किया था। यहां भी कार्रवाई की गई।

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