सागर के पुलिस कांस्टेबल की वीरता की कहानी बदमाश को पकड़ा तो उसने पिस्टल तानी और कर दिया फायर, हाथ में गोली लगी, मगर छोड़ा नहीं

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बात 2-3 अप्रैल 2016 की रात की है। शनिवार का दिन था। गोपालगंज थाने से मनोरमा कॉलोनी क्षेत्र में नाइट गश्त लगी थी। साथ में आरक्षक प्रेम नारायण वर्मा गश्त कर रहा था। हम रास्ते से जा रहे थे। तभी अचानक एक मकान से महिला के चिल्लाने की आवाज आई। आवाज सुन हम तुरंत वहां पहुंच गए। जहां देखा तो दो बदमाश बीएम द्विवेदी के मकान की बाउंड्रीवाल फांदकर भाग रहे थे। मैंने उन्हें ललकारा। लेकिन वे रुके नहीं और भागने लगे। साथी के साथ उनका पीछा किया और करीब आधा किमी पीछा करते हुए राजेद्र दुबे के खेत में एक बदमाश को धरदबोचा। उससे गुत्थमगुत्था होने लगी। तभी उसने जेब में रखा देशी पिस्टल निकाली और मुझ पर तान दी। मैं कुछ सोच या कर पाता, इससे पहले ही उसने मुझ पर फायर कर दिया। गोली दायें हाथ की हथेली में लगी। गोली लगी तो कुछ दर्द हुआ, लेकिन बदमाश को छोड़ा नहीं। उस पर झपट्‌टा मारा और भिड़ गया। गुत्थमगुत्था की लड़ाई लड़ उसके हाथ से देशी पिस्टल छीन ली। उसे काबू में किया। तुरंत गोपालंगज थाने में सूचना दी। जिसके बाद पुलिस बल मौके पर पहुंचा और आरोपी को पकड़कर थाने लाया गया। मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बदमाश के पकड़े जाने के बाद क्षेत्र में चोरी की वारदातों पर लगाम लगी थी। साथ ही उससे लाखों रुपए का माल बरामद हुआ था।
यह वीरता की कहानी है सागर पुलिस लाइन में पदस्थ आरक्षक भूपेंद्र सिंह यादव की है। आरक्षक भूपेंद्र को जान पर खेलकर अपना कर्तव्य निभाने और उनकी वीरता के लिए पुलिस विभाग ने के एफ रुस्तमजी पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्हें परम विशिष्ट श्रेणी में पुरुस्कार दिया गया है। पुरुस्कार के रूप में उन्हें रिवाल्वर और प्रमाण पत्र भेंट किया गया। सम्मान में मिली रिवाल्वर लेने के लिए 30 मई को पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी कर दिया है।
मैं कुछ सोचता तो हो सकता था वह मुझ पर दूसरा फायर कर देता
आरक्षक भूपेंद्र सिंह ने घटनाक्रम की रात की कहानी बताते हुए कहा कि बदमाश के हाथ मैं देशी पिस्टल देख कुछ समझ नहीं आया और न ही मैंने कुछ सोचा। मुझे बस उसे पकड़ना था। इसलिए उससे भिड़ गया। गुत्थमगुत्था की लड़ाई लड़ जख्मी हाथ से उसकी पिस्टल छीन ली। यदि मैं उस समय जरा भी डर जाता या सोचने लगता तो हो सकता था कि वह मुझ पर दूसरा फायर कर देता और फिर कुछ भी हो सकता था। इसलिए बगैर कुछ सोचे उसे धरदबोचा।पहले डरा लगा था, लेकिन अब खुशी है
आरक्षक भूपेंद्र सिंह यादव को परम विशिष्ट श्रेणी में के एफ रुस्तमजी पुरस्कार मिलने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है। आरक्षक की पत्नी आरती यादव ने कहा घटना के दिन इनको गोली लगी तो परिवार के सभी लोग डर और घबरा गए थे। कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन उनकी इस वीरता के लिए पुलिस विभाग ने सबसे बड़ा पुरस्कार दिया है। जिससे हम गौरांवित है। उनका काम है देश भक्ति, जन सेवा जो वो करते रहें।
पुरस्कार का नाम सुना था, सोचा नहीं था मुझे मिलेगा कभी
आरक्षक भूपेंद्र ने बताया कि पुलिस विभाग में आने वाले हर शख्स का सपना होता है कि उसे के एफ रुस्तमजी पुरस्कार मिले। मैंने भी पुलिस विभाग में आने के बाद इस पुरस्कार का नाम सुना था। कभी सोचा नहीं था कि इतना बढ़ा पुरस्कार मुझे भी मिलेगा। लेकिन अपनी ड्यूटी मेहनत, लगन और इमानदारी से की। जिस कारण मुझे यह पुरस्कार मिल पाया। कोरोना काल में पुरस्कार की घोषणा हुई थी। लेकिन उस समय सार्वजनिक कार्यक्रम में सम्मान नहीं हो पाया था। पुलिस मुख्यालय में बुलाकर पुरस्कृत किया गया था। अब मुख्यालय ने पुरस्कार में मिली रिवाल्वर लेने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। जिसे लेने के लिए गन लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया चल रही है।

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