भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को चाय पिलाने वाले की कहानी नए कप खरीदकर लाया, चाय बनाने भाभी को बुलाया, मां से तलवाए बड़े

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और पार्टी व संगठन के तमाम नेताओं को जबलपुर में स्वल्पाहार कराने वाले कार्यकर्ता आशीष अहिरवार की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। परिवार पांच दिन से इस खातिरदारी की तैयारियों में जुटा था। परिवार को सब कुछ किसी सपने जैसा लग रहा है। परिवार के लिए सबसे यादगार पल बन गया जब सिंधिया किचन में घुस गए। कांचघर निवासी अनुसूचित मोर्चा सोशल मीडिया प्रभारी 33 वर्षीय आशीष अहिरवार की जुबानी सुनिए पूरी कहानी…
पांच दिन पहले नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर जी का फोन आया, बोले कि नड्‌डा जी को तुम्हारे घर स्वल्पाहार कराना है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुझ जैसे कार्यकर्ता के घर स्वल्पाहार करेंगे ये सोचकर ही रोमांचित हो गया। तुरंत हां बोल दिया। इसके बाद सांसद राकेश सिंह का फोन आया। इसके बाद मैं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सीएम सहित तमाम वरिष्ठ नेताओं के सत्कार की तैयारी में जुट गया। हर छोटी सी छोटी बात का ख्याल रखा।

चाव से खाए बड़े और चटनी
पार्टी अध्यक्ष सहित इतने बड़े नेताओं को स्वल्पाहार देने के लिए नई क्रॉकरी खरीदकर लाया। ड्राई फ्रूट्स, फल, जूस, नमकीन जो अधिक तीखा न हो, मिठाइयां, बिस्किट आदि सामान का इंतजाम किया। ख्याल रखा कि हमारे सीएम साहब शुगर फ्री पसंद करते हैं, तो उस तरह की सामग्री जुटाई। मेरी दूर की भाभी पत्ता और अन्य मसाले डालकर चाय बहुत अच्छी बनाती हैं, तो उन्हें भी बुला लिया था। मेरी मां गनेशी बाई बड़े बनाती है, तो उसका भी इंतजाम किया था। साथ में सिलबट्‌टे पर टमाटर, पुदीना और अन्य सामग्री डालकर चटनी पिसवाई थी, जिससे उसका स्वाद बढ़ जाए। राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सभी ने बड़े व चटनी को चाव से खाया।

10 मिनट का कार्यक्रम था, आधे घंटे रुके
मेरा घर एक चाल में है। वहां कई परिवार रहते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष का 10 मिनट का कार्यक्रम तय था, पर वे सभी आधे घंटे तक रहे। मैं और मेरे परिवार के लिए तो सब कुछ सपने की तरह लग रहा था। मेरे जैसे कार्यकर्ता के घर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सीएम शिवराज सिंह, सिंधिया राजघराने के महाराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, संगठन मंत्री सहित प्रदेश प्रभारी और तमाम नेता पहुंचेंगे, ये तो मैं सोच भी नहीं सकता था। ये मेरी जिंदगी का अनमोल पल बन गया, जो ताउम्र रहेगा।

महाराज नहीं, ऐसा लगा जैसे बड़े भाई हो सिंधिया
सबसे अलग छाप छोड़ी है ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने। कांग्रेस में थे तो महाराज जैसी छवि की कैद में थे, लेकिन मेरे घर में तो बड़े भाई जैसे दिखे। मेरी मां किचन में बड़े बना रही थी, अचानक सिंधिया जी वहां पहुंचे। मां का आशीर्वाद लिया। फिर हाथ पकड़कर बाहर लाए और सभी से परिचय कराया। बोले कि मेरी इस मां के हाथों के स्वाद का जादू इस बड़े में था। मेरे 8 महीने के बेटे दिव्यांश को गोद में लेकर दुलारा। यहां तक कि जब राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्‌डा जी और सीएम साहब ने मुझे अपने बीच बैठा लिए तो मुझे बिस्किट तक सिंधिया ने परोसा। सिंधिया जी का मेरे घर में अलग ही रूप दिखा। सभी ने मेरे पूरे परिवार के लोगों के साथ फोटो खिंचवाई।मेरा पूरा परिवार स्वागत में जुटा था
मेरी तीन बहनें हैं और तीनों की शादी हो चुकी है। दमोह नाका में रहने वाली मेरी छोटी बहन रीता महोबिया, जीजा हेमंत महोबिया भी आए हुए थे। पत्नी श्वेता अहिरवार और भांजों के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाई। शौचालय तक यूज किया। विदाई में मेरी मां ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को संत रविदास की मूर्ति तो बाबा भीमराव अम्बेडकर की फ्रेम कराई एक-एक तस्वीर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज सिंह को दी। सभी वरिष्ठ नेता जाते-जाते बोल गए कि फिर आएंगे और मेरी मां के हाथ के बने बड़े खाकर जाएंगे।2017 में बीजेपी से जुड़ा
आशीष ने बताया, मैं 2017 में सागर में संत रविदास जी को समर्पित एक कार्यक्रम में गया था। वहां सीएम शिवराज सिंह भी आए थे। उसी कार्यक्रम में मेरी मुलाकात अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य से हुई। उन्होंने पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया। बोले कि पार्टी को आप जैसे पढ़े-लिखे युवाओं की जरूरत हैं। आप पार्टी से जुड़कर अपने समाज का भला कर सकते हैं। वहां से लौटने पर नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर से मिला। उन्होंने मुझे समझा, काम करने का मौका दिया और फिर कई कार्यक्रमों की जिम्मेदारियां भी सौंपी। बस तभी से मेरा राजनीतिक सफर शुरू हुआ।

संघर्षों से आगे बढ़ा हूं, बहुत गरीबी देखी है
बहुत गरीबी देखा हूं। संघर्षों से आगे बढ़ा हूं। खुद कमाकर और मां के सहयोग से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की। एक कम्प्यूटर की दुकान पर 500 रुपए की नौकरी से शुरूआत की थी। आज रानीताल में मेरी खुद की दुकान है। 2-BHK फ्लैट भी ले चुका हूं। ITI पार्क में केबल मैन्यूफैक्चरिंग की फैक्ट्री लगाने की तैयारी है। नगर निगम से प्लॉट का नक्शा स्वीकृत हो गया है। अब मुद्रा लोन से वहां अपनी फैक्ट्री चालू करने की तैयारी में हूं।मेरे परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा
2018 में हमारे सिर से पिता का साया उठ गया था, अब मेरी मां को बहुत सुख देना चाहता हूं। बहुत संघर्षों से उन्होंने मुझे आगे बढ़ाया। मेरे परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा। मेरे खुद के जीवन पर संत रविदास और डॉ. भीमराव अम्बेडकर का काफी प्रभाव है। मैं दोनों को पूजता हूं। नड्‌डा जी ने जिस तरह एक परिवार के मुखिया के तौर पर मेरा हाल-चाल जाना। मां से बात की, वो कभी नहीं भूल पाउंगा। (…जैसा की आशीष अहिरवार ने दैनिक भास्कर को बताया)

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