उज्जैन । किसानों की आय दोगुनी करने हेतु प्राकृतिक खेती ही एक ऐसा माध्यम है जिससे केवल मृदा का स्वास्थ्य ठीक नहीं होता बल्कि पर्यावरण को भी दूषित होने से बचाया जा सकता है। उक्त उदगार डॉ.एस.आर.के. सिंह संचालक अटारी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा व्यक्त किये गये डॉ.सिंह राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन की 33वीं वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ.आर.पी. शर्मा प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख द्वारा सभी सदस्यों को वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति के बारे में विस्तार से बताया गया तथा स्वागत भाषण देकर सभी का स्वागत किया गया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा दी गई।
डॉ.डी.एस तोमर वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा विगत छह माह का प्रगति प्रतिवेदन तथा आगामी खरीफ मौसम की तकनीकी कार्यमाला का प्रस्तुतीकरण पॉवर पाईंट के माध्यम से दिया गया। तत्पश्चात् ऑनलाइन जुडे हुए सभी से सुझाव आमंत्रित किये गये जिसमें किसान श्री सतीश शर्मा ग्राम बिछडोद द्वारा फसल विविधीकरण को बढावा देने का सुझाव दिया।
ग्राम दताना से जुडे किसान श्री इंदरसिंह सिंह जादौन ने जल संरक्षण से संबंधित किसान हितों में कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया। संचालक विस्तार सेवाएं रा.वि.सिं.कृ.वि.वि., ग्वालियर से नामित डॉ.आसवानी द्वारा उद्यानिकी फसलों को बढावा देने पर जोर दिया तथा कहा कि बिना उद्यानिकी के कृषकों की आय नहीं बढाई जा सकती। साथ ही आपने कहा कि किसानों के उत्पादों को विक्रय हेतु कृषि वैज्ञानिकों को भूमिका निभानी चाहिए। डॉ.शरद चौधरी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय इंदौर द्वारा कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा आगामी कार्यक्रम को इसी तरह सफल बनाने की कामना की। श्री आर.पी.एस. नायक, उप संचालक कृषि एवं कल्याण विभाग उज्जैन द्वारा प्राकृतिक खेती पर प्रयोग केन्द्र के फसल संग्रहालय में लगाने का सुझाव दिया ताकि जिले के विभिन्न तहसीलों के कृषक देखकर प्रेरित हो सके। श्री पी.सी सिसोदिया द्वारा फसल अवशिष्ट को नरवाई प्रबंधन के द्वारा मृदा उर्वरता को बढावा मिले। इसमें समन्वयता से कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम को लिपीबद्ध संकलन डॉ.रेखा तिवारी, श्री राजेन्द्र गवली एवं श्रीमती सपना सिंह द्वारा किया गया। श्रीमती गजाला खान द्वारा वर्चुअल मींटिंग का पंजीयन तथा तकनीकी सहयोग निर्बाध किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ.मौनी सिंह तथा अभार प्रदर्शन डॉ.एस.के.कौशिक द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री डी.के. सूर्यवंशी वैज्ञानिक तथा श्री अजय गुप्ता एवं अन्य कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अधिकारी व प्रगतिशील किसान एवं महिला कृषक कुल 37 लोग ऑनलाइन जुडे।