नगरीय निकाय चुनाव में सागर नगर निगम के 48 वार्डों में से 40 वार्डों में भाजपा के पार्षद जीतकर आए हैं। जिसके बाद यह साफ हो गया है कि मेयर इन काउंसिल और निगमाध्यक्ष भाजपा का ही बनेगा। महापौर संगीता तिवारी की एमआईसी में पूर्व एमआईसी सदस्यों के साथ ही नए चेहरों को भी संगठन में वरिष्ठता के आधार पर जगह दी जा सकती है। इधर, निगम अध्यक्ष बनने के लिए संभावित दावेदारों ने परिणाम आने के पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए वे सागर विधायक शैलेंद्र जैन से लेकर संगठन और तीनों मंत्रियों के दरबार में हाजिरी भी लगाने लगे हैं। परिणाम घोषित होने के बाद उनकी दावेदारी और भी तेज हो गई है।
निगमाध्यक्ष बनने के लिए भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शैलेश केशरवानी का नाम उछलकर सामने आया है। पार्षदी के टिकट वितरण के साथ ही शैलेश का नाम निगमाध्यक्ष के लिए उछलने लगा था। चुनाव के दौरान वार्ड में मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और विधायक शैलेंद्र जैन ने चुनाव की कमान संभाली। इससे उनके अध्यक्ष की दावेदारी को ताकत मिली है। वहीं कृष्णगंज वार्ड के पार्षद अनूप उर्मिल का नाम भी निगमाध्यक्ष के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। वे लगातार दूसरी बार पार्षद बने हैं। वे खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर के करीबी हैं।
वहीं एससी कोटे से अगर निगमाध्यक्ष तय होता है तो सुभाष नगर वार्ड वृंदावन अहिरवार के नाम पर मुहर लग सकती है। इसके साथ ही धर्मेंद्र खटीक, रीतेश तिवारी भी दावेदार हो सकते हैं। लगातार छठवीं बार चुनाव जीते और एक बार निगमाध्यक्ष रह चुके विनोद तिवारी भी फिर से सभापति की दौड़ में हैं। हालांकि महापौर पद पर महिला को कमान मिली है ऐसे में सभापति पुरुष पार्षद को ही बनाने के लिए पार्टी निर्णय ले सकती है। लेकिन यदि महिला को निगमाध्यक्ष बनाने पर सहमति बनी तो पार्षद मेघा दुबे के नाम पर मुहर लग सकती हैं। क्योंकि मेघा दुबे ने महापौर टिकट के लिए भी दावेदारी की थी।
मेयर: कार्यकाल पांच वर्ष, चुनाव सीधे जनता द्वारा
नगर निगम और मेयर इन काउंसिल के मुखिया। नियम-कानून में अधिकारों का दायरा सीमित। शहर के प्रथम नागरिक के रूप में ऊंचा ओहदा।
अध्यक्ष: कार्यकाल पांच वर्ष, चुनाव पार्षदों द्वारा
नगर निगम के स्पीकर, मेयर की सहमति से नगर निगम की बैठक बुलाते हैं। बैठक की अध्यक्षता करते हैं। इस बैठक में तय एजेंडे पर निर्णय लिए जाते हैं।