सावन के आखिरी सोमवार बाबा महाकाल की शाही सवारी ठाठ-बाट से निकल रही है। उज्जैन में बाबा महाकाल चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। नगरवासी फूलों की वर्षा कर राजाधिराज का स्वागत कर रहे हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस जवानों ने बाबा महाकाल को सलामी दी। पूजा-अर्चना के बाद भगवान भक्तों से मिलने निकले। भगवान महाकाल को शिप्रा के जल से स्नान कराया गया। इसके बाद सवारी गोपाल मंदिर के लिए रवाना हो गई। यहां हरि-हर का मिलन होगा।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग में सोमवार तड़के बड़ी संख्या में श्रद्धालु भस्मारती में शामिल हुए। बाबा महाकाल बैलगाड़ी पर नंदी पर उमा-महेश का स्वरूप धारण किए हुए हैं। पालकी के साथ हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिव तांडव प्रतिमा, नंदी रथ पर उमा महेश के मुखारविंद विराजमान हैं।
फूलों से पटी शहर की सड़कें
मंदिर से निकलने के बाद बाबा महाकाल की सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए शिप्रा तट रामघाट पहुंची। यहां शिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक किया गया। जयकारे की गूंज और बाबा महाकाल के स्वागत के लिए उड़ाए गए फूलों से सड़कें पट गईं। भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सवारी मार्ग में भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं की हैं।