ग्वालियर में भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्री व सिंधिया घराने के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचकर उनको पुष्प अर्पित किए। इस बार मंच से उन्होंने वीरांगना को देश की बेटी कहते हुए कहा कि वीरांगना की शौर्य गाथा सिर्फ देश तक ही नहीं बल्कि विदेशों से प्रचलित है। आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
यहां बता दें कि ऐसा चर्चा प्रचलित है कि वीरांगना जब 1857 में अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर आई थीं तो सिंधिया स्टेट ने उनकी मदद नहीं की थी। पर इतिहास में इस चर्चा का कहीं कोई जिक्र नहीं है। सिंधिया घराना भी अक्सर वीरांगना के बारे में बोलने या समाधि पर जाने से बचते नजर आते थे। पर अब विचारधारा बदल गई है।
दो दिवसीय प्रवास पर आए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार सुबह वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर पहुंचकर विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। यहां सबसे पहले दीप प्रज्जवलन किया गया फिर केन्द्रीय मंत्री सिंधिया, सांसद विवेक शेजवलकर, सभापति मनोज तोमर, पूर्व मंत्री माया सिंह ने वीरांगना की समाधि पर पुष्प अर्पित कर व परिक्रमा लगाकर वीरांगना को सच्ची श्रृद्धांजलि दी। इसके बाद वहां झंडा वंदन भी किया गया और राष्ट्रगीत भी गाया गया। इसके बाद मंच से सिंधिया ने वीरांगना के शौर्य और साहस की तारीफ करते हुए उनका गुणगाान किया।
ये तिरंगा झंडा ही नहीं हमारी आन बान और शान है
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने मंच से कहा कि आज हम इस तिरंगे को देख रहे हैं। यह हम भारतीयों के लिए सिर्फ झंडा ही नहीं है बल्कि हमारी आन बान और शान है। यह हर भारतीय की आत्मा है। इसके लिए दिल और जान कुर्बान हैं। हर घर तिरंगा का संकल्प प्रधानमंत्री जी ने लिया है, क्योंकि आज हम आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।