रतलाम जिले में लहसुन का बंपर उत्पादन करने वाले किसान अब लहसुन के गिरे हुए दामों से परेशान हैं। कृषि मंडियों में अपनी उपज लेकर पहुंचे किसानों को लहसुन के दाम नहीं मिल पा रहे हैं। रतलाम की प्रमुख कृषि उपज मंडियों में लहसुन की कीमत न्यूनतम 300 रुपये क्विंटल से अधिकतम 2000 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल रही है। ऐसे में किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही। यही वजह है कि कई किसान अपनी लहसुन की फसल फेंकने को मजबूर हो गए हैं। लहसुन के दामों में अप्रैल महीने से ही गिरावट दर्ज की जा रही है। लंबे समय तक अपनी फसल रोककर दाम बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं किसानों का सब्र टूट रहा है और मंडी में दाम नहीं मिलने से किसान परेशान है।
एक ट्रॉली लहसुन मंडी में लेकर आने का खर्च 2 हजार रुपए, कुछ किसानों का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा
दरअसल इस वर्ष रतलाम जिले में बड़े रकबे में किसानों ने लहसुन की बुवाई की है। जिले की कृषि उपज मंडियों में लहसुन की बंपर आवक इन दिनों हो रही है। किसानों के अनुसार महंगे बीज, खाद, दवाई सिंचाई की व्यवस्था के बाद महंगे मजदूरों से लहसुन की हारवेस्टिंग करवाई। जिसके बाद दाम बढ़ने के इंतजार में किसानों ने भंडारण भी किया। लेकिन अब लहसुन के दाम नहीं मिलने से किसानों की लागत तो दूर मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है। किसानों का एक बीघा में 20 से 22 हजार रुपए से अधिक तक का खर्च हो जाता है लेकिन लहसुन के दाम कम मिलने की वजह से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। रतलाम लहसुन प्याज मंडी में आज लहसुन का न्यूनतम दाम 300 प्रति क्विंटल और अधिकतम दाम 2000 प्रति क्विंटल तक रहा है। फसल का दाम नहीं मिलने पर किसान अपनी फसल को बेचे बिना वापस अपने घर लेकर जा रहे हैं। तो कुछ किसान बारिश में भीग चुकी फसल को रास्ते में ही फेंक रहे हैं।