भागवत कथा में भरत चरित्र, वामन अवतार प्रसंग सुनाया – परोपकारी वामन भी विराट हो जाता है – कथा वाचक उपाध्याय

स्वयं के लिए कुछ मांगना व्यक्ति को बहुत छोटा बना देता है, इसलिए रहीम कहते है मर जाऊ मांगू नहीं, अपने तन के काज, लेकिन जो दूसरों के लिए, परोपकार के लिए मांगता है वह विराट हो जाता है। यह बात छावनी सकल समाज के द्वारा छावनी राधा कृष्ण पंचायती मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस मंगलवार को भरत चरित्र और वामन अवतार प्रसंग पर बोलते हुए कथा वाचक पंडित बाबुलाल उपाध्याय ने कहीं।

उन्होंने कहा कि भगवान वामन छोटे थे, बौने थे, लेकिन जब उन्होंने देवताओं के लिए राजा बलि से भूमि मांगी तो वे विराट हो गए। धर्म के लिए, समाज के लिए, परोपकार के लिए मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। आपने वामन अवतार की कथा करते हुए आगे कहा कि दान और ऋण देने वाले के सामर्थ्य से नहीं लेने वाले को अपने स्तर से लेना चाहिए। दान उतना लो जिसे पचा पाओं और कर्ज उतना लो जिसे चुका पाओं। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रावक मौजूद रहे। कथा पश्चात आयोजक समिति द्वारा व्यासपीठ का पूजन-अर्चन किया गया।

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