जीवनशैली में व्यायाम को शामिल करना होगा, छह से आठ माह तक निरंतर दवा लेना होगी; इनके साइड इफैक्ट भी नहीं


डायबिटिक लोगों को इससे मुक्त करने के लिए लीवर और पेनक्रियाज को चर्बी से मुक्त किया जाए। शोध से यह साबित हुआ है कि शरीर के इन दोनों हिस्सों से चर्बी निकाल दी जाए तो डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है। इस दिशा में तेजी से शोध चल रहा है। उन्होंने बताया कि रिसर्च सोसायटी एंड स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया देश को दस साल में डायबिटीज मुक्त करने के प्लान पर काम कर रही है। शोध किए जा रहे हैं तो जीवनशैली में बदलाव की जरूरत है। हम सरकार को प्रस्ताव देंगे कि स्कूलों में 10 साल की उम्र के बच्चों से ही लाइफ स्टाइल की शिक्षा शुरू की जाए।

बच्चों को इस उम्र से ही बीमारियों को लेकर सचेत करना होगा। 15 की उम्र के बाद खतरा शुरू हो जाता है। बताना होगा कि कैसा भोजन करें, शरीर को स्वस्थ कैसे रखें। इस प्रक्रिया में अध्यापकों के साथ डॉक्टर्स और पालकों की भागीदारी जरूरी होगी। नई रिसर्च के बारे में डॉ. मिश्रा ने बताया अब एलोपैथी में शुगर की जो दवाइयां उपलब्ध है, उनमें खास विशेषता यह है कि इन दवाइयों का उपयोग करने से मरीज की शुगर कम होगी, उसका वजन नहीं बढ़ेगा। दवाइयों से हार्ट व किडनी से संबंधित बीमारी नहीं होगी। रिसर्च सोसायटी एंड स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया मप्र की आयोजन समिति के चेयरमैन डॉ. विजय गर्ग ने बताया एलोपैथी में नई दवाइयों के उपयोग से दूसरे इफेक्ट नहीं आएंगे, जिसमें मरीजों को शुगर लेवल बना रहेगा। हार्ट व किडनी को प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दिनचर्या में बदलाव करना होगा। युवाओं को चार घंटे से ज्यादा लंबी सिटिंग नहीं रखना है। आयोजन समिति के आशीष शर्मा व विमलेश पाटीदार ने बताया नई रिसर्च, शुगर की रोकथाम व नए तथा प्री-डायबिटीक मरीजों की केयर पर मंथन हुआ है, जिसका फायदा देशभर के मरीजों को मिल सकेगा। (भास्कर के लिए पद्मश्री डॉ. अनूप मिश्रा से डॉ. विजय गर्ग ने विशेष बातचीत की, जिसके प्रमुख अंश…)

यह फार्मूला… डायबिटीज से मुक्त हो सकते हैं मरीज

  • फार्मूला एक – समय पर और प्रॉपर इलाज करवाना होगा। शेड्यूल के तहत दवाइयां लेना होगी।
  • फार्मूला दो- जीवनशैली बदला होगी, जिसमें पैदल चलना, अधिकांश कार्य खुद करना व गिल्ली-डंडा या कबड्डी जैसे खेल खेलना होंगे। सुबह जल्दी उठना और नियमित रूप से योग व व्यायाम जरूरी।

ये दवाइयां… ठीक होंगे, साइड इफैक्ट भी नहीं

डॉ.विजय गर्ग ने बताया चिकित्सक की सलाह पर मेटरफारमिन, पियोग्लुटोजोम या एसजीएलटी-2 इनहेबिटेड दवाइयों का सेवन 6 से 8 माह तक करना होगा। साथ ही अपनी जीवन शैली में बदलाव करना होगा।

युवाओं को 4 घंटे से ज्यादा सिटिंग नहीं करना चाहिए- डॉ. जोशी

अब एलोपैथी चिकित्सा में डायबिटीज के मरीजों को लाइफ टाइम तक बीमारी से जूझना नहीं पड़ेगा। प्रभावी दवाइयों के सेवन से खासकर युवा मरीज शुगर से मुक्त हो सकते हैं। इसके लिए उन्हें 6 से 8 माह तक दवाइयां खाना होगी और साथ ही पुरानी लाइफ स्टाइल में लौटना पड़ेगा। आयुर्वेद के बाद अब एलोपैथी में इस तरह की दवाइयां उपलब्ध होने से मरीजों को लंबे समय तक दवाइयों का उपयोग भी नहीं करना पड़ेगा और वे शुगर से मुक्त भी हो सकते हैं। मुंबई के डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. शशांक जोशी ने करीब 520 मरीजों का नई दवाइयों से मरीजों का इलाज किया है। इनमें से करीब 211 मरीजों पर इलाज प्रभावी रहा है और मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। एशिया के प्रमुख डायबिटीज विशेषज्ञ पद्मश्री डाॅ. अनूप मिश्रा व डॉ.शशांक जोशी सहित अन्य विशेषज्ञों ने डायबिटीज को देश में 10 साल में जड़ से खत्म करने का प्लान रखा।

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