उज्जैन के विनोद मिल के रहवासियों द्वारा विरोध करने के बाद आखिरकर शनिवार सुबह पुलिस और प्रशासन की टीम ने आखरी अल्टीमेटम देकर घर खाली करवाना शुरू करवा दिया। करीब 160 परिवारों ने अपने अपने घर का सामान निकालकर वैकल्पिक व्यवस्था में ले जाना शुरू कर दिया। हालांकि कयास लगाए जा रहे थे की घर खाली करवाने में प्रशासन को काफी मशक्क्त करनी पड सकती है, लेकिन शांति पूर्ण तरीके से रहवासियों ने घर खाली करना शुरू कर दिया।
विनोद मिल की चाल के रहवासी को शनिवार सुबह से ही घर से बेदखल करने के लिए प्रशासन और भारी पुलिस बल तैनात रहा। लोग सुबह जागे तो उनके सामने निगम का अमला घर खाली कराने के लिए आला अधिकारी मौजूद थे। भारी बल देखकर चाल के रहवासियों ने विरोध नहीं किया और धीरे धीरे खुद ही अपना सामान निकालना शुरू कर दिया था। कई लोगों ने स्वयं की इच्छा से अपना घर तोड़ना शुरू किया और प्रशासन ने मोहलत मांग ली। एडीएम संतोष टैगोर ने बताया की रहवासियो ने स्वयं की इच्छा से मकान खाली करना शुरू कर दिया है। इन सभी को रहने के लिए सुरासा और महाकाल एवेन्यू में रहने के लिए जगह दी गई है। अब रहवासी अपने अपने घर से सामान निकालकर प्रशासन द्वारा दिए गए घरो में शिफ्ट होंगे।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
करीब 26 वर्ष पहले बंद हुई बिनोद मिल के मजदूरों ने अपना बकाया वेतन, ग्रेच्युटी आदि का पैसा पाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। 27 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मिल मजदूरों के हक में फैसला सुनाया था। फैसले में बकाया राशि का भुगतान 4 फीसद ब्याज के साथ करें। शासन को मिल की 18.018 हेक्टेयर (44.523 एकड़) जमीन का आधिपत्य भी सौंपा गया था। विनोद मिल के श्रमिकों को बकाया राशि देने के बाद बीते कई दिनों से यहाँ रहने वाले 160 परिवारों को घर खाली करने का नोटिस दे चुके थे। शुक्रवार को प्रशासन ने अंतिम अनाउसमेंट करवाकर शनिवार से घर खाली करवाना शुरू कर दिया। परिवार वालों द्वारा लगातार विरोध को देखते हुए सुबह से ही भारी पुलिस बल के साथ एडीएम संतोष टैगोर,एसडीएम संजय साहू , कल्याणी पांडे सहित आला अधिकारी मौजूद रहे।
मिल की जमीन 525 करोड़ की
शासन के अधिन हुई विनोद मिल की जमीन 525 करोड़ रुपये की है। इस जमीन के खरीदार जमीन पर कालोनी माल या मार्केट बनाए जितनी भी अनुमति की आवश्यकता होगी, शासन जमीन के खरीदार को जमीन खाली करवाकर देंगे। इसी कड़ी में आगर रोड से हीरामिल को जोड़ती एक फोरलेन सड़क बनाई भी जा चुकी है।
घर खोने का डर
रहवासियों ने आरोप लगाया की प्रशासन सुबह हमें घर से बेदखल करने की कार्यवाई शुरू की। मजदुरो के परिवार का कहना है कि हमारी यहां 4 पीढ़ी बीत गई। मुआवजा नहीं मिला तो कहां जाएंगे। सरकार हमें मल्टी में एक कमरे के घर देना चाहती है , जबकि कई परिवारों में चार चार भाई एक साथ रह रहे है।