चुनावी नारे से वारे-न्यारे! ऐतिहासिक नारों और कैंपेन के नायाब तरीके से BJP ने जीता जनता का दिल

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गुजरात की मतगणना के बीच बीजेपी करिश्माई आंकड़े की ओर बढ़ रही है. बीजेपी गुजरात में 62 साल के इतिहास में सबसे बड़ी जीत की तरफ अग्रसर है. वहीं, कांग्रेस को गुजरात में अब तक का सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा है जबकि आम आदमी पार्टी की दावेदारी भी गुजरात में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई. बीजेपी के चुनावी कैंपेन को ऐतिहासिक और लोकप्रिय नारों ने हमेशा धार दी है. साथ ही नायाब तरीकों से चुनाव प्रचार भी हमेशा पार्टी को फायदा पहुंचाता रहा है.

बता दें, नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक अभियानों में हमेशा ऐसे नारों को गढ़ा है, जिन्होंने बीजेपी के राजनीतिक अभियानों से जनता का मूड बदला और सियासी समीकरण ही बदल गए. ऐसे नारे हमेशा कम शब्दों के थे, लेकिन उनका मतलब स्पष्ट होता था. जो एकबार में ही लोगों को भा जाते थे.

1987 अहमदाबाद चुनाव में दिखा था नारों का कमाल

1987 के अहमदाबाद निकाय चुनाव में नरेंद्र मोदी ने ‘मेरा घर भाजपा का घर’ नारा दिया था, जिसने उस चुनाव में कमाल दिखाया. बाद में पंचलाइन ‘जीतेगा गुजरात’ ने उनकी छवि ही बदल दी. बाद में उन्होंने ‘मैं विकास हूं, मैं गुजरात हूं’ नारे के साथ उन्हेंने गुजरात और विकास को जोड़ा. 1990 के विधानसभा चुनाव में पूरे गुजरात में ‘अयोध्या मां राम, पछीज आराम’ के नारे गूंजे. साथ ही 370 के खिलाफ स्लोगन की लाइन पूरे राज्य में छाई रही.

वहीं, 1995 के गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘भय भुख भ्रष्टाचार हटाओ, भाजपा लाओ’ का नारा जनता के बीच खूब गूंजा. साथ ही ‘है तो बस भाजपा’ जैसे अन्य आकर्षक नारे भी जनता के बीच छाए रहे. बता दें कि नरेंद्र मोदी ने हमेशा से ही पार्टी कैडर के महत्व को समझा है. उन्होंने जहां भी चुनाव प्रबंधन संभाला वहां, पार्टी कैडर का मनोबन बढ़ाने और उनमें सुधार लाने पर विशेष ध्यान दिया. मध्य प्रदेश में जतना पार्टी और 1992 में बीजेपी की एक संक्षिप्त सरकार को छोड़कर राज्य में एक लंबा कांग्रेस शासन रहा है. 1998 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेता का सामना करना था.

बीजेपी के सामने ये परीक्षा की घड़ी थी. कुशाभाऊ ठाकरे और प्यारेलाल खंडेलवाल समेत मध्य प्रदेश के शीर्ष नेता राज्य को छोड़कर केंद्र की सियासत में चले गए. उस समय पार्टी को संभालने के लिए एक अच्छा नेतृत्व चाहिए था. तब नरेंद्र मोदी को प्रभारी बनाकर मध्य प्रदेश भेजा गया. उस समय लखीराम अग्रवाल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष थे. नरेंद्र मोदी ने राज्य के चुनाव की बागडोर संभाली और 320 विधानसभा सीटों के लिए एक पार्टी कैडर तैयार कराया, जो कुछ महीने तक समर्पित होकर उन सीटों पर काम कर सकें.

नरेंद्र मोदी ने BJP कार्यकर्ताओं में ऐसे भरा जोश

जब नरेंद्र मोदी ने उनकी पहली बैठक ली तो उन्होंने पार्टी कैडर के कार्यकर्ताओं को ‘विजय व्रती’ नाम दिया. नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं आपको ‘विजय व्रती’ कहता हूं क्योंकि आपको अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्र में ‘व्रत’ या ‘विजय’ लाने का संकल्प लेना होगा. नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपको जीत से कम कुछ भी लक्ष्य नहीं रखना है. और जीत से पहले आराम भी नहीं करना है. आपको विजय व्रती के रूप में अपने ‘संकल्प’ की चिंता करनी चाहिए. लोग अगर किसी भी तरह की सुविधा देने की बात करें तो विचलित मत होना. आप जहां भी सो सकते हो सो जाओ, जहां भी खा सकते हो खा लो, आपको अपने निर्वाचल क्षेत्र के लोगों से जुड़ना है.

गुजरात के राजनीतिक इतिहास में 1987 का अहमदाबाद नगर निगम चुनाव अहम मोड़ लेकर आया था. यहां पर कांग्रेस सालों से सत्ता में थी और बीजेपी अभी शुरुआती दौर में थी. उस समय 37 साल के नरेंद्र मोदी युवा प्रचारक थे. उन्हें आरएसएस से बीजेपी के महासचिव (संगठन) के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था. उस समय पहली बार नरेंद्र मोदी का संगठनात्मक कौशल दिखा. बीजेपी को उस चुनाव में आश्चर्यजनक जीत मिली और अहमदाबाद में पार्टी का पहला मेयर बना.

रिजल्ट आने के अगले दिन नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से सभी उम्मीदवारों से मिले. उन्होंने सुबह 5 बजे से ही उनके घर जाना शुरू कर दिया और लगभग 100 उम्मीदवारों से मुलाकात की उन सभी को बधाई दी. नरेंद्र मोदी चाहते तो कार्यालय पर बुलाकर भी सभी से मिल सकते थे. लेकिन उन्होंने सभी प्रत्याशियों के घर जाकर उनसे मुलाकात की.

नरेंद्र मोदी की अलग ही दूरदर्शिता

1995 अहमदाबाद नगर निगम चुनाव से 2-3 दिन पहले नरेंद्र मोदी ने सभी वार्डों में एक बैठक की. जिसमें उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और उनके शुभचिंतों की वजह से पार्टी को भारी नुकसान होगा. उनकी बात सुनकर सभी लोग उलझन में पड़ गए. इसके बाद उन्होंने एक कहानी सुनाकर उम्मीदवारों और प्रत्याशियों को यह समझाने की कोशिश की कि शहर में बीजेपी का अच्छा माहौल है. हम चुनाव जीत रहे हैं. बीजेपी के कार्यकर्ता और शुभचिंतक ये सोच रहे हैं कि हम चुनाव पहले ही जीत गए हैं. इसलिए ऐसा हो सकता है कि कई लोग वोट डालने ही नहीं जाएं. उन्हें ऐसा लगेगा कि बीजेपी चुनाव जीत चुकी है, उनके वोट देने और ना देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव संपन्न होने के बाद ही बैलेट पेपर पर मुहर लगेगी और हम जीतेंगे. उस चुनाव में भी बीजेपी की जीत हुई थी.

इस बार भी हिट रहा PM का नारा

इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिया गया एक नारा आम जनता में काफी छाया रहा. प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया चुनावी नारा ‘आ गुजरात में बनाव्यु छे’ सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. 34 लाख से अधिक लोगों ने अपनी सेल्फी के साथ सोशल मीडिया पर उसे अपलोड भी किया।

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