दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से बचा सकती है जनजातीय भाई-बहनों की हलमा परम्पराः शिवराज

भोपाल, 26 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे झाबुआ और अलीराजपुर जिले की हलमा परम्परा अद्भुत है। जनजातीय भाई-बहनों द्वारा सहभागिता की यह परम्परा आज दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से बचा सकती है। इस परम्परा से दुनिया को सीखना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया को बचाना है तो अकेले सरकार नहीं बचा सकती। हलमा जैसी परम्परा में सरकार और समाज मिल कर खड़े हो जाएं तो हम दुनिया को बचाने का संदेश हलमा से दे सकते हैं। हलमा हमको सिखाता है कि कैसे हम मेहनत करें और जनता की भावना के साथ सरकार के साधन मिल कर काम को आसान बनाया जाए।

मुख्यमंत्री चौहान रविवार को झाबुआ जिले के हाथीपाव पहाड़ी पर हलमा उत्सव और विकास यात्रा के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज मैं यहाँ हलमा उत्सव में आए सभी परमार्थियों का स्वागत और अभिनन्दन करने आया हूँ। उन्होंने शिवगंगा परिवार को हलमा की अद्भुत परंपरा को पुनर्जीवित करने और प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए बधाई और साधुवाद दिया। मुख्यमंत्री ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि हाथीपाव की पहाड़ी से यह अलख गांव-गांव पहुंच रही है। उन्होंने वनवासी समाज से आग्रह किया कि वे इस महान परंपरा को सतत बनाए रखें।

चौहान ने कहा कि सरकार और समाज मिलकर खड़े हो जाएँ तो समूचा परिदृश्य बदल सकता है। समाज के संकल्प को सरकार के संसाधन मिलेंगे तो हम एक नया परिदृश्य निर्मित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वनवासी समाज की हलमा परंपरा अद्वितीय है। यह संकट में खड़े मनुष्य की सहायता का संदेश देती है। इस परंपरा को समूचे मध्यप्रदेश में विस्तारित करते हुए जल, मिट्टी और पर्यावरण-संरक्षण का कार्य करेंगे। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी को इस आशय का संकल्प भी दिलाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तस्वीर बदल दी है। केंद्र और राज्य की सरकार गरीब कल्याण को समर्पित है। मोदी जी के नेतृत्व को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने जनजातीय कल्याण के लिए कोई कसर शेष नहीं छोड़ी है। पिछली सरकार ने तो संबल और तीर्थ-दर्शन जैसी योजनाएं और अनुदान की व्यवस्थाओं को ही बंद कर दिया था। हमारी सरकार बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त करने और परिवारों की बेहतरी के लिए लाड़ली बहना योजना आरंभ कर रही है। उन्होंने उपस्थित जन-समुदाय को शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिक से अधिक सहयोग कर जन-भागीदारी को प्रोत्साहित करने का संकल्प दिलाया।

उन्होंने कार्यक्रम में जनजातीय भाई-बहनों को पेसा नियम के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज को अधिकार संपन्न बनाने में पेसा नियम की अहम भूमिका रहेगी। प्रदेश में जनजातीय अंचल में धर्म परिवर्तन का कुचक्र चलने नहीं दिया जाएगा। छल-कपट से जनजातियों की ज़मीन छीनने की कोशिशों को सख़्ती से नकारा जाएगा। पेसा नियम में तेंदूपत्ता संग्रहण का अधिकार ग्राम सभाओं को दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं को लाड़ली बहना योजना की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं की मदद के लिए राज्य सरकार लाड़ली बहना योजना शुरू कर रही है। ऐसे गरीब परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख रुपये से कम है, जिन किसान परिवारों के पास पांच एकड़ से कम भूमि है। ऐसे परिवार की महिलाएं इस योजना के लिए पात्र होंगी। योजना में बहनों को 1000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। यह योजना गरीब परिवारों की हालत बदलने और कुपोषण का अंत करने में सहायक होगी। योजना के आवेदन मार्च-अप्रैल में लिए जाएंगे, मई में आवेदनों की जाँच होगी और जून माह की 10 तारीख से बहनों के खाते में पैसा आना आरंभ हो जाएगा।

कार्यक्रम में सांसद सांसद गुमान सिंह डामोर ने भी संबोधित किया। शिवगंगा अभियान के राजाराम कटारा ने हलमा की परंपरा के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में डॉ. दीपमाला रावत ने पेसा एक्ट के जनक स्व. दिलीप सिंह भूरिया पर केंद्रित प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया। मुख्यमंत्री ने अन्य अतिथियों के साथ यह प्रशस्ति-पत्र स्व. दिलीप सिंह भूरिया की पुत्री पूर्व मंत्री निर्मला भूरिया को प्रदान किया।

विकास कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास

मुख्यमंत्री ने विकास यात्रा के समापन पर विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ प्रदान किया। साथ ही 26 करोड़ 17 लाख रुपये की लागत के 45 विकास कार्यों का लोकार्पण और 245 करोड़ 79 लाख रुपये लागत के विभिन्न निर्माण कार्यों का भूमि-पूजन भी किया। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम स्थल पर भगोरिया नृत्य से स्वागत किया गया।

मुख्यमंत्री ने किया श्रमदान

मुख्यमंत्री ने अपने साथ लाई गैती से हाथीपाव पहाड़ी पर श्रमदान भी किया। उन्होंने यहां जल-संरक्षण के लिए बनाई जा रही ट्रेंच में गैती चलाई और पीपल का पौधा भी रोपा।

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