बचपन में मां का सहारा मिल जाता है तो बचपन सुधर जाता है और युवावस्था में महात्मा मिल जाते है तो युवावस्था सुधर जाती है

भविष्य दर्पण/नीरज सोलंकी

बचपन में मां का युवा अवस्था में महात्मा का और वृद्धावस्था में परमात्मा का सहारा जिसे मिल जाता है तो वहां जीवन ना आने वाली कठिनाइयों को सहजता से पार कर जाता है, यह बात ग्राम मनापिपलिया पिपलिया में नानी बाई का मायरा कथा में कथा वाचक पंडित योगेश जी शर्मा ने कहीं उन्होंने कथा प्रसंग में बताया कि बचपन में मां का सहारा मिल जाता है तो बचपन सुधर जाता है और युवावस्था में महात्मा मिल जाते है तो युवावस्था सुधर जाती है , क्योंकि महात्मा के बताएं मार्ग पर पर वहां चलता है, भगवान की भक्ति करता है जिससे उसका जीवन सुधर जाता है और भगवान की भक्ति के प्रभाव से वहां वृद्धावस्था में परमात्मा का संकीर्तन करते हुए वह भगवान के परमधाम को प्राप्त कर लेता है, इसलिए समय रहते भगवान की भक्ति माता-पिता की सेवा अच्छे से करना चाहिए, कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पधारकर कथा का लाभ लिया/

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