आजादी के लिए 23 साल की उम्र में फांसी पर झूलने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह के बलिदान दिवस पर याद कर उनकी प्रतिमा में माल्यार्पण किया गया। इस दौरान केंट विधायक अशोक रोहाणी ने कहा कि क्रांतिकारी भगत सिंह की आज पुण्यतिथि है। इसे शहीदी दिवस या बलिदान दिवस के रूप में याद किया जाता है।
आजादी के लिए 23 साल की उम्र में फांसी पर झूलने वाले भगत सिंह इंकलाब जिंदाबाद और साम्राज्यवाद मुर्दाबाद के नारे लगाते थे। आज का दिन भारतीय इतिहास में गौरवमयी दिन के रूप में जाना जाता है। अविभाजित भारत की जमीन पर एक ऐसे शख्स का जन्म हुआ जो शायद इतिहास लिखने के लिए ही पैदा हुआ था।
11 घंटे पहले दे दी गई फांसी
23 मार्च 1931 को शाम करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह और उनके दोनों साथी सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई थी। केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के जिस मामले में भगत सिंह को फांसी की सजा हुई थी उसकी तारीख 24 मार्च तय की गई थी। लेकिन इस दिन को अंग्रेजों के उस डर के रूप में भी याद किया जाना चाहिए। जिसके चलते इन तीनों को 11 घंटे पहले ही फांसी दे दी गई थी। इस दौरान मंडल अध्यक्ष दामोदर सोनी, निशांत झारिया, पुष्पराज सेंगर, दशरथ पटेल, संतोषी ठाकुर आदि मौजूद रहें।