उज्जैन- ब्रह्मत्व को प्राप्त कर यश और ज्ञान प्रकाश करने वाले होकर ब्रह्मसंग जीव मात्र के सुख हेतु प्रार्थना उपासना करें अर्थात ब्राम्हण संध्या उपासना रत शीलवान सौम्य चित्त द्रढ- वृत्ति व सभी के प्रति समभाव रखने वाला होता है नित्य संध्या वंदन कर्म सभी शास्त्र तथा पुराणों में उल्लेखित है संध्या वंदन केवल वृत्तिक कर्मकांडी पुजारी वैदिक ब्राह्मण विद्वान के लिए नहीं अपितु प्रत्येक उप वित्त द्बिज के लिए अनिवार्य कर्म है संध्या वंदन जैसे नित्य कर्म के न करने के पाप व दोष आदि का वर्णन शास्त्रों में पुराणों में है जिसके कारण मनुष्य की अवनति एवं दुष्प्रभाव मनुष्य जीवन में आते हैं नित्य ब्रह्म कर्म संध्या उपासना पर मंथन आज गंगा मंदिर रामघाट तीर्थ पर बैठकर ब्राह्मणों एवं विशेषकर बालीपुर धाम मनावर से पधारे आचार्य रविंद्र शर्मा तथा सचिन अत्रे संध्या उपासना के आचार्य पंडित धीरेंद्र पांडे तथा उज्जैन के विद्वान पंडित राजकिशोर शुक्ला अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी मनीष डब्बावाला पंडित वीरेंद्र त्रिवेदी शैलेश दुबे दिनेश रावल तीर्थ पुरोहित पंडित अधिक नारायण जोशी भरत डब्बावाला आदि तीर्थ पुरोहित एवं ब्राम्हण जनों ने बैठक कर ब्रह्म कर्म को सभी ब्राह्मणों के बटुकोतक इस संस्कार को पहुंचाने का आव्हान किया इस हेतु ब्राह्मण समाज के प्रत्येक घर में संध्या उपासना करने हेतु उपासना योग्य यज्ञोपवीत धारण करने वाले बटुको का ऑनलाइन सर्वे व्हाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया फेसबुक आदि के माध्यम से भी किया जाना निश्चित किया गया ताकि ब्राह्मण बच्चों को इस संस्कार के प्रति जागरूक तथा संकल्पित किया जा सकेबैठक के पश्चात सर्वे फार्म तथासंध्या उपासना नित्य कर्म का जागरूकता फार्म का साहित्य प्रकाशन भी किया गया