रायसेन के शिक्षक नीरज सक्सेना को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार – 12 साल तक कभी पैदल तो कभी बैलगाड़ी पर जाते थे स्कूल, पढ़ाई की गुणवत्ता भी बढ़ाई

रायसेन शहर के शिक्षक नीरज सक्सेना का दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सम्मान किया। रायसेन कोशिश करने वालों की हार नहीं होती जो मन में ठाना वह करके दिखाया, कई बार 15 अगस्त, 26 जनवरी के मुख्य समारोह पर पुरस्कार के लिए नाम काटा गया। पर इस बार लोकल स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नाम चयन हुआ।

रायसेन शहर से 48 किलोमीटर दूर ग्राम सालेगढ़ के प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक नीरज सक्सेना ने 13 साल की मेहनत और लगन से अपने पूरे शासकीय स्कूल की रंगत बदल दी। वहीं शिक्षा का स्तर भी सुधारा और स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाई। स्कूल पहुंचने के लिए कच्चा रास्ता था तो वह अक्सर बैलगाड़ी और कीचड़ से होकर पैदल ही स्कूल पहुंचते थे। पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी स्वयं की खर्चे से स्कूल में कई कार्य कराने के बाद बच्चों को यूनिफॉर्म भी उपलब्धि कराई।

शिक्षक की अलग करने की जिद

6 नवंबर 2019 को शिक्षक बनने रायसेन के निवासी नीरस सक्सेना की प्राथमिक स्कूल सालेगंड में पदस्थापना हुई उस समय स्कूल में महज 15 से 20 बच्चे ही आते थे इसके बाद नीरज ने स्कूल को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए काम शुरु किया। वे कीचड़ भरे रास्ते से होकर स्कूल पहुंचते और सबसे पहले जंगलों में दूर-दूर बनी झोपड़ियों में पहुंचते वहां परिजनों और बच्चों को स्कूल दिखाने के बहाने बुलाते और पढ़ाई करआते यह क्रम सालों चलता रहा इसका सुखद परिणाम भी सामने आया पहले जहां लड़कियां पांचवी के बाद पढ़ाई छोड़ दिया करती थी वह अब तक शिक्षक नीरज के प्रयासों से सालेगढ़ स्कूल से निकली छात्राएं विभिन्न कॉलेजों और छात्रावास में प्रवेश लेकर आगे की पढ़ाई जारी रखे हुए हैं अब इस सालेगढ़ के सरकारी प्राथमिक स्कूल में 45 छात्राएं और 56 छात्र दर्ज हैं।

निजी खर्चे पर 1500 पौधे रोपे और पेड़ बनने तक सहेजा

सरकारी स्तर पर हर वर्ष लाखों पौधे रोपित किए जाते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद ही यह पौधे गायब हो जाते हैं जबकि सालेगढ़ प्राथमिक स्कूल के शिक्षक नीरज सक्सेना ने निजी खर्चे पर 1500 पौधे खरीद कर रोपित किए वे यहीं रुके नहीं उन्होंने पेड़ बनने तक पौधों को सहेजा अब स्कूली छात्र छात्राओं को इन पेड़ों से फल मिलना शुरू हो गए हैं। स्कूल परिसर में जामफल के 50 आवला के 30 पेड़ आम के 15 पेड़ शीशम के 35 बेल के दो महूआ के दो पेड़ और अनार के चार पेड़ लगा चुके हैं। इनमें से कई पेड़ों में फल भी आने लगे हैं स्कूल परिसर में ही पानी की होद का निर्माण करा दिया।

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